सुबह से ही यहां बाज़ार, स्कूल-कॉलेज और सभी प्रतिष्ठान बंद हैं. बंद को व्यापार संगठनों का भी समर्थन है. इससे पहले अजमेर संभाग के किशनगढ़, भीलवाड़ा और ब्यावर ज़िलों में हिंदू संगठनों ने 28 फ़रवरी को रैली की थी.
दरअसल, अजमेर संभाग के ब्यावर ज़िले के विजय नगर थाने में बीती 16 फ़रवरी को तीन एफ़आईआर दर्ज हुईं. इन एफ़आईआर में पांच स्कूली नाबालिग़ छात्राओं को ब्लैकमेल कर बलात्कार और धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए थे.
स्थानीय पुलिस ने इस मामले में एक पूर्व पार्षद समेत 12 लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें से तीन नाबालिग़ हैं.
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पुलिस ने क्या बताया
स्थानीय कोर्ट के आदेश के बाद आठ अभियुक्तों को जेल भेजा गया जबकि पूर्व पार्षद हाकिम कुरैशी को पुलिस ने रिमांड पर लिया है. वहीं सभी नाबालिग़ बाल सुधार गृह में हैं. लेकिन हिंदू संगठनों का विरोध लगातार बढ़ रहा है.
विजय नगर थानाध्यक्ष करण सिंह बीबीसी से कहते हैं, "सोलह तारीख़ को तीन एफ़आईआर दर्ज की गई हैं. इसमें पांच नाबालिग़ पीड़िता सामने आई हैं जो एक ही स्कूल की छात्राएं हैं."
पुलिस ने लड़कियों के परिजनों की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की कई धारा और पोक्सो एक्ट की कई धारा में एफ़आईआर दर्ज की है.
इस मामले के जांच अधिकारी डिप्टी एसपी सज्जन सिंह ने कहा है, "हमने बारह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें से तीन नाबालिग़ों को कोर्ट के आदेश पर बाल सुधार गृह भेजा है. एक अभियुक्त पूर्व पार्षद हाकिम कुरैशी को रिमांड पर लिया है बाक़ी आठ अभियुक्तों को जेल भेजा जा चुका है."
अब तक जांच में कितनी पीड़िताएं सामने आई हैं और क्या इनकी संख्या बढ़ सकती है. इस सवाल पर सज्जन सिंह ने कहा, "पांच पीड़िताओं ने परिजनों के साथ थाने में रिपोर्ट दी है. अभी तक की जांच में पीड़िताओं की संख्या बढ़ने जैसा कुछ नहीं आया है."
हालांकि उन्होंने पीड़िताओं के बयानों के आधार पर फोटो-वीडियो के ज़रिए ब्लैकमेल करने और धर्मांतरण के दबाव बनाने के आरोपों की पुष्टि की.
राज्यपाल बोले- 'अब यह नहीं चलेगा'
प्रदेश में सत्ता और विपक्ष इस गंभीर मामले को लेकर मौन नज़र आता है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की ओर से भी इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18 फ़रवरी को सोशल मीडिया एक्स पर मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए लिखा, "भाजपा के शासन में असुरक्षा के कारण क्या बालिकाओं का घर से निकलना तक बंद हो जाएगा."
लेकिन राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने 23 फ़रवरी को झुंझुनू ज़िले के नवलगढ़ में एक निजी स्कूल के कार्यक्रम में मंच से इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि कई छात्राएं हिंदूवादी संगठन से जुड़ी थीं इसलिए उन्हें टार्गेट किया गया.
राज्यपाल ने सवाल पूछते हुए कहा, "वे लड़कियां हिंदूवादी संगठन से जुड़ी थीं इसलिए तुम उनको टार्गेट कर रहे हो. यह नहीं चलेगा, अब यह नहीं चलेगा. यह ध्यान में रखो."
कैसे मामला सामने आया
मसूदा के डिप्टी एसपी और इस मामले के जांच अधिकारी सज्जन सिंह कहते हैं, "पीड़िताओं के परिजनों की ओर से दी गई एफ़आईआर से ही मामला सामने आया है."
एक पीड़िता के पिता ने पुलिस को शिकायत देते हुए बताया है, "पंद्रह फ़रवरी को उनकी नाबालिग़ बेटी घर पर पढ़ाई कर रही थी. मैं अचानक उसके कमरे में गया तो वह फ़ोन पर अभियुक्त से बात कर रही थी, मुझे देख वह घबरा गई और फ़ोन काट दिया."
"फ़ोन काटने के बाद लुकमान ने लगातार पंद्रह-बीस कॉल किए. मैंने फ़ोन उठाकर अपनी बेटी को बात करने के लिए कहा. उसने बेटी को अपशब्द बोले और तुरंत नहीं मिलने पर फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी दी."
"पिता ने अपनी सहमी हुई बेटी को लुकमान के बुलाए स्थान पर भेजा और खुद उसका पीछा करते हुए पहुंचे. इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को छुड़ाया और घर लाकर पूछताछ की तो घटना सामने आई."
इस पीड़िता के पिता ने बेटी से मिली जानकारी के आधार पर दावा किया है, "लुकमान दबाव बना कर अपने साथ होटल कैफे ले जाता और शारीरिक शोषण करता. शारीरिक शोषण के लिए उसकी सहेलियों को भी मिलवाने का दबाव बनाता."
पीड़िता के पिता ने पुलिस को बताया, "बेटी ने घटना बताई तो हमने उसकी सहेलियों के परिजनों से संपर्क किया तो मालूम हुआ कि उनकी बेटियों के साथ भी इसी तरह यौन शोषण की घटनाएं हुई हैं."
अभियुक्तों के परिवारों की प्रतिक्रिया
इस मामले में अभियुक्तों के परिवार से संपर्क नहीं हो सका है. वहीं दूसरी ओर अभियुक्तों के घरों को अवैध निर्माण बताते हुए नगरपालिका विजय नगर ने अभियुक्तों के परिजनों को नोटिस जारी किया है. तय सीमा में दस्तावेज़ पेश नहीं करने पर उनके घरों को तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी.
इसकी जानकारी नोटिस के ख़िलाफ़ अभियुक्तों के परिजनों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल करने वाले एडवोकेट सैयद सआदत अली ने दी है.
उन्होंने बताया, "सोलह तारीख़ को एफ़आईआर दर्ज हुई है लेकिन अभी तक हमें एफ़आईआर की कॉपी नहीं दी गई है. एसपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के आधार पर ही हम आगे बढ़ रहे हैं. आरोप हैं कि कैफे में ले गए थे उस कैफे संचालक को गिरफ्तार नहीं किया है. इधर गिरफ्तार अभियुक्तों के परिजनों के मकानों को तोड़ने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं और कागज़ मांगे जा रहे हैं."
हिंदू संगठनों का विरोध जारी
मामला सामने आने के बाद से ही अजमेर संभाग समेत अन्य इलाक़ों मे हिंदूवादी संगठन आक्रोशित हैं. घटना के विरोध में लगातार रैलियां निकाली जा रही हैं, प्रदर्शन और इलाक़े में बंद किए जा रहे हैं.
पुलिस-प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से दोषियों को फांसी की सज़ा देने की मांग की जा रही है. अजमेर की पोक्सो कोर्ट में पेशी के दौरान वकीलों ने भी पुलिस सुरक्षा में लाए गए अभियुक्तों की पिटाई की थी.
वैदेही महिला जागृति संस्थान ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नाम ज्ञापन देते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाने, छात्राओं की काउंसलिंग कराने की मांग की है.
संस्थान की उपाध्यक्ष शोभा गौतम कहती हैं, "हमारे क़ानून तो हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन सही तरीक़े से नहीं हो रहा है. क़ानून का क्रियान्वयन इस तरीक़े से हो कि ऐसे अपराधियों में डर व्याप्त हो. इस मामले में दोषियों को इस तरह की सजा दें कि अपराधियों में संदेश जाए जिससे पुनरावृत्ति न हो ऐसे मामलों की."
विप्र सेना के राष्ट्रीय प्रमुख सुनील तिवाड़ी का दावा है कि सिर्फ़ पांच ही नहीं बल्कि पीड़िताओं की संख्या अधिक है. वह कहते हैं कि, "अभी भी कई और पीड़ित बच्चियां हैं जो भय और इज्जत की वजह से सामने नहीं आ रही हैं."
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष पारीक ने इस घटना को लेकर दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की है.
दरअसल, तीन दशक पहले अजमेर ब्लैकमेल रेप कांड में भी स्कूल-कॉलेज की लड़कियों से दोस्ती कर उनके अश्लील फोटो-वीडियो के ज़रिए ब्लैकमेल कर गैंगरेप का मामला सामने आया था.
ब्यावर में भी इसी तरह नाबालिग़ स्कूल स्टूडेंट्स को ब्लैकमेल करने का मामला है. इसलिए इसको भी अजमेर ब्लैकमेल कांड की तरह ही देखा जा रहा है.
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